टमाटर की खेती कैसे करे? जिससे किसान को मिले ज्यादा उत्पादन
टमाटर एक महत्वपूर्ण फसल है, जो पूरे वर्ष लगाई जाती है। टमाटर में कैल्शियम, विटामिन, आयरन और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। टमाटर का उपयोग सब्जी, चटनी,सलाद सूप, सॉस आदि बनाने के लिए किया जाता है। मार्किट में बढ़ती मांग के कारण किसानो के लिए इसकी खेती करना फायदे का सौदा है। अगर सही तकनिकी और ज्ञान से टमाटर की खेती की जाए तो मुनाफा होना तय है। अगर आप पहली बार टमाटर की खेती कर रहे है या फिर पहले से करते है पर उत्पादन में कमी होती है तो नीचे दी जानकारी जरूर पढ़े,आपको टमाटर की खेती की बिजाई से कटाई की पूरी जानकारी दी जाएगी।
टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायुऔर मिट्टी
- टमाटर की बिजाई के लिए 18 -27 डिग्री सेंटीग्रेट उपयुक्त तापमान चाहिए होता है।
- अधिक नमी और पाले में यह फसल खराब हो जाती है।
- फल लगने के लिए उचित तापमान 15 -20 डिग्री सेंटीग्रेट आवश्य्क होता है।
- मिट्टी का pH 6-7.5 होना चाहिए।
- टमाटर की खेती चिकनी, रेतली, दोमट, लाल मिट्टी, काली जिसमें पानी के निकास का सही प्रबंध हो उसमे की जा सकती है लेकिन बलुई दोमट या दोमट मिटटी सबसे उपयुक्त होती है।
टमाटर की खेती के लिए बिजाई का समय
साल में तीन बार हम टमाटर की नर्सरी तैयार कर सकते है। जो की जून-जुलाई, अगस्त- सितम्बर और अक्टूबर-नवंबर में होती है। जब पौधा 20-25 दिन का नर्सरी में हो जाये तो फिर उसकी रोपाई कर दी जाती है।
बीज दर और उपचार
- 400-500 ग्राम प्रति हेक्टेयर और अगर हाइब्रिड किस्म इस्तेमाल कर रहे है तो 200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर।
- थायरम या मेटालाक्सिल या कार्बेनडाज़िम दवा 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करे।
टमाटर की उन्नत किस्मे
देसी किस्म – पूसा रूबी, पंजाब छुहारा, पूसा शीतल, सोनाली, पूसा -120, पूसा – गौरव, अर्का विकास, पूसा सदाबहार, स्वर्णा नविन, स्वर्णा लालिमा, काशी विशेष।
हाइब्रिड किस्म – स्वर्णा वैभव, काशी अभिमान, पूसा हाइब्रिड-4, यू.एस.440, अविनाश-2, 501, स्वर्णा सम्पदा , उत्कल पल्ल्वी, उत्कल दीप्ति।
टमाटर की खेती के लिए नर्सरी की तैयारी
- नर्सरी तैयार करने के लिए क्यारिया बनाये जिसमे उनकी लम्बाई 3-4 मीटर होनी चाहिए और भूमि की सतह से उचाई 25-30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- नर्सरी में कतार से कतार की दूरी 10 सेंटीमीटर और बीज की दूरी 5 सेंटीमीटर रखे। बीज को ज्यादा गहराई में न बोये 3-4 सेंटीमीटर गहराई काफी है।
- सर्दी के मौसम में पौध को पाले से बचाने के लिये क्यरिओ को पॉलिथीन चादर की टनल बनाकर ढक दे।
- नर्सरी में पौधे की फुवारे द्वारा सिचाई करे।
- बुवाई से पहले बीज को 2 ग्राम केप्टान प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करे।
पौध की रोपाई
- पौधे से पौधे की दूरी 45-60 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर रखे।
- जब पौध 25-30 दिन की हो जाये तो उसकी रोपाई कर दे। रोपाई से पूर्व पौधे की जड़ो को कार्बेन्डाजिम के गोल में उपचारित जरूर कर ले।
खाद या उर्वरक की मात्रा
- 20-25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर को खेत की तैयारी के समय डाले।
- 100-120 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर डाले। जिसमे खेत की तैयारी के समय 30-35 किलोग्राम और उतनी ही मात्रा 20 दिन बाद इसकी दूसरी डोज़ और 40 दिन बाद तीसरी डोज़ दे।
- 50 किलो सल्फर और 50 किलो पोटाश का खेती की तैयारी के समय उपयोग करे।
टमाटर की खेती में खरपतवार नियंत्रण
- टमाटर की फसल में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिये खेत की निराई-गुड़ाई अच्छे से करनी चाहिए। गुड़ाई के समय ध्यान रखे की पोधो की जड़ो को नुक्सान ना हो। फसल में फल के समय पर निराई-गुड़ाई ना करे।
- रोपाई के 72 घंटे के अंदर पेन्डामेथलिन दवाई का इस्तेमाल करे 3 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से, ये खरपतवार को नियंत्रित करती है।
सिंचाई
- जब फसल में फूल निकलने का समय हो तो सिचाई जरूर करे, अगर इस समय पानी की कमी होगी तो फूल झड़ जाएगे जिसका सीधा प्रभाव उत्पादन और गुणवत्ता पर पड़ेगा। टमाटर की फसल में ड्रिप इरीगेशन से सिचाई ज्यादा फायदेमद होती है। ड्रिप इरीगेशन के फायदे जान्ने के लिए यहां क्लिक करे।
- गर्मियों के समय खेत की नमी आधार पर 5-7 दिनों में सिचाई करनी चाहिए।
- सर्दियों में 10-15 दिन के अंतराल में सिचाई की जाती है।
फसल की कटाई और भण्डारण
टमाटर के फल की तुड़ाई इस बात पर निर्भर करती है की उसको प्रयोग में कब लाया जाएगा, अगर टमाटर को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है तो फल के रंग के लाल होने से पहले ही तुड़ाई कर ली जाती है। अगर स्थानीय इलाको में ही टमाटर बेचना है तो लाल होने पर उसकी तुड़ाई की जाती है। आकार और वजन के हिसाब से टमाटर की ग्रेडिंग की जाती है। टमाटर की औसत उपज 250-350 कुविन्टल प्रति हेक्टर होती है और हाइब्रिड किस्म की उपज 400-600 कुविन्टल प्रति हेक्टर तक हो जाती है। 20-25 दिन के भण्डारण के लिए 8-10 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर इन्हे स्टोर कर सकते है।